किसानों का हुजूम
– फोटो : अमर उजाला (फाइल)
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तीनों कृषि कानूनों को निरस्त कराने की खातिर किसान संगठनों के नेता, केंद्र सरकार पर दबाव डालने के लिए नए-नए एलान कर रहे हैं। गुरुवार को किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि हम फसलें जला देंगे। इसके बाद भारतीय किसान यूनियन की हरियाणा इकाई के प्रदेशाध्यक्ष रतनमान ने कहा, अब हम ‘खेती हड़ताल’ करेंगे। साथ ही राजनीतिक दलों का बहिष्कार किया जाएगा। जब खेती हड़ताल होगी तो सरकार की नींद टूटेगी। सरकार अभी तक इस गलतफहमी में है कि आंदोलन कर रहे किसान हार-थक कर वापस लौट जाएंगे। ऐसा नहीं होगा, किसान आंदोलन अब देश के हर हिस्से में पहुंच चुका है। आम लोग, अन्नदाता की परेशानी समझ रहे हैं।
भाकियू नेता रतनमान ने गुरुवार को जींद के गांव खरक पूनिया में आयोजित किसान महासभा में ‘खेती हड़ताल’ करने का मास्टर स्ट्रोक मारा है। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार को ये तीनों काले कानून वापस लेने ही होंगे। किसानों का आंदोलन तीनों कृषि कानूनों के खत्म होने तक जारी रहेगा। सरकार, इस मुद्दे पर किसानों को बरगलाने का प्रयास कर रही है। आंदोलन को तोड़ने के लिए सरकार ने जानबूझकर लंबी बैठकों का प्लान तैयार किया था। जब सरकार अपने इस मकसद में कामयाब नहीं हुई, तो आंदोलन को बदनाम करने के दूसरे तरीके खोजे जाने लगे। किसान पहले ही कह चुके हैं कि ये कृषि कानून किसान विरोधी हैं।
केंद्र सरकार को तुरंत प्रभाव से इन्हें रद्द करना चाहिए। किसान महापंचायत में रतनमान ने किसानों से आह्वान करते हुए कहा, अब किसानों को अपने आंदोलन को मजबूत करने के लिए ‘खेती हड़ताल’ शुरू करनी होगी। प्रदेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बिल्लू खांडा ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के अलावा सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का भी विरोध होना चाहिए। इसकी रणनीति तैयार कर ली गई है। आज तक सभी सरकारों ने किसानों के नाम पर राजनीति की है। अब किसान जागरूक हो चुका है। उन्होंने कहा की भारतीय किसान यूनियन सभी राजनीतिक दलों का बहिष्कार करेगी। महापंचायत में मौजूद हजारों किसानों ने हाथ उठा कर इस एलान का जोरदार समर्थन किया है।
सार
भारतीय किसान यूनियन की हरियाणा इकाई के प्रदेशाध्यक्ष रतनमान ने कहा, अब हम ‘खेती हड़ताल’ करेंगे। साथ ही राजनीतिक दलों का बहिष्कार किया जाएगा। जब खेती हड़ताल होगी तो सरकार की नींद टूटेगी…
विस्तार
तीनों कृषि कानूनों को निरस्त कराने की खातिर किसान संगठनों के नेता, केंद्र सरकार पर दबाव डालने के लिए नए-नए एलान कर रहे हैं। गुरुवार को किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि हम फसलें जला देंगे। इसके बाद भारतीय किसान यूनियन की हरियाणा इकाई के प्रदेशाध्यक्ष रतनमान ने कहा, अब हम ‘खेती हड़ताल’ करेंगे। साथ ही राजनीतिक दलों का बहिष्कार किया जाएगा। जब खेती हड़ताल होगी तो सरकार की नींद टूटेगी। सरकार अभी तक इस गलतफहमी में है कि आंदोलन कर रहे किसान हार-थक कर वापस लौट जाएंगे। ऐसा नहीं होगा, किसान आंदोलन अब देश के हर हिस्से में पहुंच चुका है। आम लोग, अन्नदाता की परेशानी समझ रहे हैं।
भाकियू नेता रतनमान ने गुरुवार को जींद के गांव खरक पूनिया में आयोजित किसान महासभा में ‘खेती हड़ताल’ करने का मास्टर स्ट्रोक मारा है। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार को ये तीनों काले कानून वापस लेने ही होंगे। किसानों का आंदोलन तीनों कृषि कानूनों के खत्म होने तक जारी रहेगा। सरकार, इस मुद्दे पर किसानों को बरगलाने का प्रयास कर रही है। आंदोलन को तोड़ने के लिए सरकार ने जानबूझकर लंबी बैठकों का प्लान तैयार किया था। जब सरकार अपने इस मकसद में कामयाब नहीं हुई, तो आंदोलन को बदनाम करने के दूसरे तरीके खोजे जाने लगे। किसान पहले ही कह चुके हैं कि ये कृषि कानून किसान विरोधी हैं।
केंद्र सरकार को तुरंत प्रभाव से इन्हें रद्द करना चाहिए। किसान महापंचायत में रतनमान ने किसानों से आह्वान करते हुए कहा, अब किसानों को अपने आंदोलन को मजबूत करने के लिए ‘खेती हड़ताल’ शुरू करनी होगी। प्रदेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बिल्लू खांडा ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के अलावा सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का भी विरोध होना चाहिए। इसकी रणनीति तैयार कर ली गई है। आज तक सभी सरकारों ने किसानों के नाम पर राजनीति की है। अब किसान जागरूक हो चुका है। उन्होंने कहा की भारतीय किसान यूनियन सभी राजनीतिक दलों का बहिष्कार करेगी। महापंचायत में मौजूद हजारों किसानों ने हाथ उठा कर इस एलान का जोरदार समर्थन किया है।
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