संवाद न्यूज एजेंसी, पठानकोट (पंजाब)
Updated Tue, 19 Jan 2021 01:26 AM IST
पूर्व विधायक अकाली दल में शामिल।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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कांग्रेस के बागी पूर्व विधायक अशोक शर्मा ने सोमवार को चंडीगढ़ में शिरोमणि अकाली दल (ब) का दामन थाम लिया। सुखबीर बादल ने उन्हें अकाली दल में शामिल करवाया। अशोक शर्मा का कहना है कि कांग्रेस अब सैद्धांतिक पार्टी नहीं रही। कांग्रेस की सोच का अवमूल्यन हो चुका है। इसी के चलते कांग्रेस को अलविदा कहा।
पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री डॉ. अश्वनी कुमार के खास रहे अशोक शर्मा 2017 विधानसभा चुनाव में पठानकोट से टिकट न दिए जाने से नाराज चल रहे थे। वर्ष 2012 में पठानकोट सीट से टिकट कटने पर अशोक शर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। उन्हें 23 हजार 713 वोट मिले। अशोक शर्मा की उस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रमन भल्ला की हार में अहम भूमिका थी।
उसके बाद कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने उनकी घर वापसी करवा ली। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भी अशोक शर्मा का टिकट कटा और वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े। इस बार उन्हें महज 703 वोट ही मिले। हालांकि उन्हें मनाने की कोशिश भी की गई। कई सीनियर नेताओं ने उनके घर पहुंचकर समझाया। सारी कोशिशें नाकाम रहीं। मौजूदा विधायक अमित विज के कार्यकाल में उन्हें नजरअंदाज किया गया और किसी ने उनकी कांग्रेस में वापसी नहीं करवाई।
‘जिंदगी के बाकी बचे दिन अकाली दल को समर्पित’
अशोक शर्मा का कहना है कि वह उदारवादी सोच रखने वाली पार्टी ढूंढ रहे थे। उन्हें अकाली दल की छवि अच्छी लगी तो उन्होंने पार्टी ज्वाइन की। शर्मा ने कहा कि पिछले चार वर्ष से राजनीतिक जिंदगी से दूर थे। इस दौरान यही सोच रहा था कि अपनी राजनीतिक सेवाएं किस पार्टी को दें। विचार करने के बाद अकाली दल को चुना।
कांग्रेस ने हमें जोड़ने की कोशिश नहीं की तो मैं भी आगे नहीं बढ़ा। शर्मा ने कहा कि कांग्रेस का अवमूल्यन हो चुका है। अकाली दल से निजी रिश्ते थे। उनसे सोच मिलती है। पंजाब का सबसे तेजी से विकास करने वाली पार्टी अकाली दल है। सारे पंजाब को उदारवादी पार्टी अकाली दल का समर्थन करना चाहिए। अब जिंदगी के बचे दिन अकाली दल को समर्पित हैं।
कांग्रेस के बागी पूर्व विधायक अशोक शर्मा ने सोमवार को चंडीगढ़ में शिरोमणि अकाली दल (ब) का दामन थाम लिया। सुखबीर बादल ने उन्हें अकाली दल में शामिल करवाया। अशोक शर्मा का कहना है कि कांग्रेस अब सैद्धांतिक पार्टी नहीं रही। कांग्रेस की सोच का अवमूल्यन हो चुका है। इसी के चलते कांग्रेस को अलविदा कहा।
पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री डॉ. अश्वनी कुमार के खास रहे अशोक शर्मा 2017 विधानसभा चुनाव में पठानकोट से टिकट न दिए जाने से नाराज चल रहे थे। वर्ष 2012 में पठानकोट सीट से टिकट कटने पर अशोक शर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। उन्हें 23 हजार 713 वोट मिले। अशोक शर्मा की उस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रमन भल्ला की हार में अहम भूमिका थी।
उसके बाद कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने उनकी घर वापसी करवा ली। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भी अशोक शर्मा का टिकट कटा और वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े। इस बार उन्हें महज 703 वोट ही मिले। हालांकि उन्हें मनाने की कोशिश भी की गई। कई सीनियर नेताओं ने उनके घर पहुंचकर समझाया। सारी कोशिशें नाकाम रहीं। मौजूदा विधायक अमित विज के कार्यकाल में उन्हें नजरअंदाज किया गया और किसी ने उनकी कांग्रेस में वापसी नहीं करवाई।
‘जिंदगी के बाकी बचे दिन अकाली दल को समर्पित’
अशोक शर्मा का कहना है कि वह उदारवादी सोच रखने वाली पार्टी ढूंढ रहे थे। उन्हें अकाली दल की छवि अच्छी लगी तो उन्होंने पार्टी ज्वाइन की। शर्मा ने कहा कि पिछले चार वर्ष से राजनीतिक जिंदगी से दूर थे। इस दौरान यही सोच रहा था कि अपनी राजनीतिक सेवाएं किस पार्टी को दें। विचार करने के बाद अकाली दल को चुना।
कांग्रेस ने हमें जोड़ने की कोशिश नहीं की तो मैं भी आगे नहीं बढ़ा। शर्मा ने कहा कि कांग्रेस का अवमूल्यन हो चुका है। अकाली दल से निजी रिश्ते थे। उनसे सोच मिलती है। पंजाब का सबसे तेजी से विकास करने वाली पार्टी अकाली दल है। सारे पंजाब को उदारवादी पार्टी अकाली दल का समर्थन करना चाहिए। अब जिंदगी के बचे दिन अकाली दल को समर्पित हैं।
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