करनाल में बवाल।
– फोटो : अमर उजाला
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किसानों के आगे पुलिस-प्रशासन की योजना और सुरक्षा चक्र ध्वस्त हो गई। पुलिस की ओर से किसानों को रोकने के लिए लगाए गये पांच नाके नाकाफी साबित हुए। रणनीति के तहत किसानों ने खेतों का सहारा लिया और कार्यक्रम स्थल तक पहुंच गए। आक्रोशित किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने ढाई घंटे तक खेतों में दौड़ाकर आंसू गैस के गोले बरसाए लेकिन किसानों के कदम नहीं रुके। पांचों चक्र की सुरक्षा तोड़कर किसान कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गये और तोड़ फोड़ कर दी।
कैमला गांव में रविवार को आयोजित होने वाली मुख्यमंत्री की किसान महापंचायत के विरोध में किसान राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसताड़ा टोल टैक्स प्लाजा से 10.20 पर काले झंडे लेकर रवाना हुए। कार्यक्रम स्थल से पहले जीटी रोड के मोड़ बिंदू, घरौंडा शहर के आउटर पर तहसील परिसर के समीप, इससे आगे राइस मिल के समीप, गढ़ी मुलतान गांव में टी-प्वाइंट पर और आगे कैमला गांव की सीमा तक पांच श्रेणी में मजबूत सुरक्षा थी। इनमें तीन नाके बहुत मजबूत थे।
घरौंडा में जीटी रोड स्थित कैमला रोड मोड़ पर लगे नाके पर पुलिस से भिड़ते हुए नाके को चंद मिनट में किसान आंदोलनकारियों ने हटा दिया। यहां से कुछ दूर घरौंडा शहर के आउटर पर तहसील परिसर के समीप पुलिस ने दूसरा मजबूत नाका लगाया हुआ था। यहां वाटर कैनन व वज्र वाहन भी तैनात थे। जहां पुलिस के साथ आंदोलनकारियों का आमना-सामना हो गया।
पहले किसान सड़क के बीच बैठ गए और उन्होंने मुख्यमंत्री की किसान महापंचायत में जाने की मांग की। फिर किसान नाके पर पुलिस द्वारा अड़ाए गए वाहनों पर चढ़कर नारेबाजी करने लगे और आगे बढ़ने का प्रयास किया। नाके पर लगे बैरिकेड्स किसानों ने इधर-उधर फेंक दिए। इसके बाद पुलिस ने सामने से आंसू गैस के गोले दागने शुरू कर दिए।
सड़क के रास्ते से कामयाबी नहीं मिलती देख बड़ी संख्या में किसानों ने खेतों की राह पकड़ ली और गढ़ी-मुलतान गांव की ओर बढ़ गए। गढ़ी-मुलतान में भी दो जगह जबरदस्त नाकाबंदी थी। यहां भी पुलिस व किसानों में जोरआजमाइश हुई। किसानों को खेतों में आगे बढ़ते देख पुलिस की टुकड़ियां उनके पीछे लग गईं। गन से आंसू गैस के गोले दागे गये।
धमाकों की आवाज इलाके में गूंजने से आसपास दहशत का माहौल बना रहा लेकिन पुलिसकर्मी आक्रोशित किसानों के कदम नहीं रोक सके। खेतों में चारों तरफ से बार-बार पुलिस बल से घिरने के बावजूद किसान कैमला गांव में सभास्थल तक पहुंच गए। इसके बाद 11.50 बजे बड़ी संख्या में किसान खेतों से होते हुए दोपहर 1.37 बजे तक कैमला में मुख्यमंत्री की सभास्थल पर पहुंच गए। अपने मंसूबे पूरे करने के बाद किसान दोपहर तीन बजे वापस दो नंबर नाके पर ही लौटकर आए और मकसद में कामयाब होने पर खुशी का इजहार किया। यहां सड़क पर लंगर चखा और फिर वापस जीटी रोड टोल प्लाजा आंदोलन स्थल पर लौट आए।
सुरक्षा के लिहाज से पुलिस प्रशासन ने कैमला गांव की जबरदस्त नाकाबंदी की थी। शनिवार रात ही जीटी रोड कैमला मोड़, घरौंडा आउटर, टी-प्वाइंट गढ़ी मुलतान कैमला रोड, डींगर माजरा-कैमला रोड, कैमला में श्मशानघाट के समीप, कोहंड-कैमला रोड जीटी रोड पर, टी-प्वाइंट अलीपुरा रोड, टी-प्वाइंट कलेहड़ी चौक पर नाके लगा दिए गए।
हर नाके पर भारी पुलिस बल तैनात रहा। कैमला से बरसत रोड, डींगर माजरा-कलहेड़ी रोड, गढ़ी मुलतान रोड, कोहंड रोड, अलीपुरा रोड। इन सभी प्रवेश बिंदुओं व समीप गांवों में भी पुलिस की नाकाबंदी रही। सभास्थल तक जाने का केवल एक रास्ता डींगर माजरा की ओर से बचा हुआ था। किसानों ने योजनाबद्ध तरीके से सड़कों को छोड़ खेतों से होते हुए सभास्थल को चारों ओर रुख किया। किसान न केवल घरौंडा-कैमला रोड बल्कि समीप गांवों के खेतों से होते हुए भी कैमला में प्रवेश कर गए।
नेताओं ने किया रोकने का भरसक प्रयास
घरौंडा आउटर पर लगे दूसरे नाके पर जाते हुए किसान सड़क पर बैठ गए। भाकियू प्रदेश कोर कमेटी सदस्य जगदीप औलख व भाकियू जिलाध्यक्ष अजय राणा ने किसानों से आगे नहीं बढ़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का विरोध करना ही मकसद था जो पूरा हो गया। जब तक कैमला में सीएम की महापंचायत रहेगी, तब तक किसानों की पंचायत यहीं सड़क पर चलेगी। यहां नेताओं की बात न मानते हुए ज्यादातर युवा आगे बढ़ते गए।
किसानों के आगे पुलिस-प्रशासन की योजना और सुरक्षा चक्र ध्वस्त हो गई। पुलिस की ओर से किसानों को रोकने के लिए लगाए गये पांच नाके नाकाफी साबित हुए। रणनीति के तहत किसानों ने खेतों का सहारा लिया और कार्यक्रम स्थल तक पहुंच गए। आक्रोशित किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने ढाई घंटे तक खेतों में दौड़ाकर आंसू गैस के गोले बरसाए लेकिन किसानों के कदम नहीं रुके। पांचों चक्र की सुरक्षा तोड़कर किसान कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गये और तोड़ फोड़ कर दी।
कैमला गांव में रविवार को आयोजित होने वाली मुख्यमंत्री की किसान महापंचायत के विरोध में किसान राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसताड़ा टोल टैक्स प्लाजा से 10.20 पर काले झंडे लेकर रवाना हुए। कार्यक्रम स्थल से पहले जीटी रोड के मोड़ बिंदू, घरौंडा शहर के आउटर पर तहसील परिसर के समीप, इससे आगे राइस मिल के समीप, गढ़ी मुलतान गांव में टी-प्वाइंट पर और आगे कैमला गांव की सीमा तक पांच श्रेणी में मजबूत सुरक्षा थी। इनमें तीन नाके बहुत मजबूत थे।
घरौंडा में जीटी रोड स्थित कैमला रोड मोड़ पर लगे नाके पर पुलिस से भिड़ते हुए नाके को चंद मिनट में किसान आंदोलनकारियों ने हटा दिया। यहां से कुछ दूर घरौंडा शहर के आउटर पर तहसील परिसर के समीप पुलिस ने दूसरा मजबूत नाका लगाया हुआ था। यहां वाटर कैनन व वज्र वाहन भी तैनात थे। जहां पुलिस के साथ आंदोलनकारियों का आमना-सामना हो गया।
पहले किसान सड़क के बीच बैठ गए और उन्होंने मुख्यमंत्री की किसान महापंचायत में जाने की मांग की। फिर किसान नाके पर पुलिस द्वारा अड़ाए गए वाहनों पर चढ़कर नारेबाजी करने लगे और आगे बढ़ने का प्रयास किया। नाके पर लगे बैरिकेड्स किसानों ने इधर-उधर फेंक दिए। इसके बाद पुलिस ने सामने से आंसू गैस के गोले दागने शुरू कर दिए।
सड़क के रास्ते से कामयाबी नहीं मिलती देख बड़ी संख्या में किसानों ने खेतों की राह पकड़ ली और गढ़ी-मुलतान गांव की ओर बढ़ गए। गढ़ी-मुलतान में भी दो जगह जबरदस्त नाकाबंदी थी। यहां भी पुलिस व किसानों में जोरआजमाइश हुई। किसानों को खेतों में आगे बढ़ते देख पुलिस की टुकड़ियां उनके पीछे लग गईं। गन से आंसू गैस के गोले दागे गये।
धमाकों की आवाज इलाके में गूंजने से आसपास दहशत का माहौल बना रहा लेकिन पुलिसकर्मी आक्रोशित किसानों के कदम नहीं रोक सके। खेतों में चारों तरफ से बार-बार पुलिस बल से घिरने के बावजूद किसान कैमला गांव में सभास्थल तक पहुंच गए। इसके बाद 11.50 बजे बड़ी संख्या में किसान खेतों से होते हुए दोपहर 1.37 बजे तक कैमला में मुख्यमंत्री की सभास्थल पर पहुंच गए। अपने मंसूबे पूरे करने के बाद किसान दोपहर तीन बजे वापस दो नंबर नाके पर ही लौटकर आए और मकसद में कामयाब होने पर खुशी का इजहार किया। यहां सड़क पर लंगर चखा और फिर वापस जीटी रोड टोल प्लाजा आंदोलन स्थल पर लौट आए।
सड़क के बजाय पगडंडियों व खेतों की पकड़ी राह
सुरक्षा के लिहाज से पुलिस प्रशासन ने कैमला गांव की जबरदस्त नाकाबंदी की थी। शनिवार रात ही जीटी रोड कैमला मोड़, घरौंडा आउटर, टी-प्वाइंट गढ़ी मुलतान कैमला रोड, डींगर माजरा-कैमला रोड, कैमला में श्मशानघाट के समीप, कोहंड-कैमला रोड जीटी रोड पर, टी-प्वाइंट अलीपुरा रोड, टी-प्वाइंट कलेहड़ी चौक पर नाके लगा दिए गए।
हर नाके पर भारी पुलिस बल तैनात रहा। कैमला से बरसत रोड, डींगर माजरा-कलहेड़ी रोड, गढ़ी मुलतान रोड, कोहंड रोड, अलीपुरा रोड। इन सभी प्रवेश बिंदुओं व समीप गांवों में भी पुलिस की नाकाबंदी रही। सभास्थल तक जाने का केवल एक रास्ता डींगर माजरा की ओर से बचा हुआ था। किसानों ने योजनाबद्ध तरीके से सड़कों को छोड़ खेतों से होते हुए सभास्थल को चारों ओर रुख किया। किसान न केवल घरौंडा-कैमला रोड बल्कि समीप गांवों के खेतों से होते हुए भी कैमला में प्रवेश कर गए।
नेताओं ने किया रोकने का भरसक प्रयास
घरौंडा आउटर पर लगे दूसरे नाके पर जाते हुए किसान सड़क पर बैठ गए। भाकियू प्रदेश कोर कमेटी सदस्य जगदीप औलख व भाकियू जिलाध्यक्ष अजय राणा ने किसानों से आगे नहीं बढ़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का विरोध करना ही मकसद था जो पूरा हो गया। जब तक कैमला में सीएम की महापंचायत रहेगी, तब तक किसानों की पंचायत यहीं सड़क पर चलेगी। यहां नेताओं की बात न मानते हुए ज्यादातर युवा आगे बढ़ते गए।
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