आज किसान संगठनों के साथ नये फार्मूले पर हो सकती है बात, सरकार पर अब बढ़ने लगा है दबाव

गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान
– फोटो : एएनआई (फाइल)
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आज से किसान संगठनों और केंद्र सरकार के मध्य आंदोलन समाप्त करने के लिए वार्ता का क्वार्टर फाइनल राउंड शुरू हो सकता है। केन्द्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार संवेदनशील है और जल्द ही इस मुद्दे का समाधान निकल आएगा और किसान अपने खेत-खलिहान की तरफ लौट जाएंगे। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अपने सहयोगी नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल से व्यापक चर्चा करके समाधान की दिशा में गंभीर हैं। प्रधानमंत्री मोदी भी लगातार किसान आंदोलन को लेकर हालात की समीक्षा कर रहे हैं। वहीं किसान नेताओं का कहना है कि 30 दिसंबर को हुई बातचीत के बाद आज की बैठक में सरकार को ठोस प्रस्ताव के साथ आना पड़ेगा।
वार्ता से पहले बातचीत के स्वरूप को लेकर पंजाब के एक बड़े किसान नेता ने कहा कि देश की मीडिया ने 30 दिसंबर को हुई बातचीत को सरकार द्वारा आधी बात मान लेने के तौर पर प्रचारित कर दिया। जबकि यह सब्जी खरीदने के बाद मुफ्त में मिलने वाले धनिया-मिर्च जैसा है। सरकार ने उस विधेयक पर बात मानने की हामी भरी है, जो अभी कानून की शक्ल नहीं पा सका है। पराली को लेकर किसानों को मिला प्रस्ताव कोई बड़ी चीज तो है नहीं।
एमएसपी पर ठोस प्रस्ताव चाहिए, बीच का रास्ता नहीं
आज बातचीत के लिए निकलने से पहले किसान नेता फिर अपना होम वर्क पूरा करके ही जाएंगे। बताते हैं कि इस मामले में केन्द्र सरकार के प्रोत्साहन राशि, सब्सिडी जैसे उपाय मंजूर नहीं हैं। सरकार द्वारा एमएसपी और बाजार मूल्य में अंतर की भरपाई करने जैसा प्रस्ताव भी यदि आता है तो वह कोई स्थायी समाधान नहीं है। इसलिए किसान नेता इस तरह की स्थिति के लिए तैयार नहीं होंगे। हमें इस बार स्थायी समाधान चाहिए।
समिति के प्रस्ताव पर क्यों तैयार नहीं किसान संगठन
इसके साथ-साथ रिपोर्ट आने, सरकार द्वारा उस पर अमल करने तक किसानों को अपना प्रदर्शन जारी रखने के लिए सरकार रामलीला मैदान या ऐसे ही किसी सुरक्षित स्थान का प्रस्ताव करती। बताते हैं केंद्र सरकार तीनों कानूनों में जिन 16 से अधिक संशोधनों के लिए तैयार होने का भरोसा दे रही है, उससे किसी समस्या का समाधान नहीं होने वाला है।
फरवरी में है संसद का बजट सत्र
फरवरी में संसद का बजट-सत्र आरंभ हो सकता है। बजट सत्र के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण लगातार मंत्रालय के अधिकारियों के साथ मैराथन बैठक कर रही हैं। वित्त मंत्री के सामने कृषि क्षेत्र में सुधार और ग्रामीण विकास को धार देने के लिए वित्तीय आवंटन की चुनौती बनी हुई है। कोविड-19 के लिए टीकाकरण प्रक्रिया का पंजीकरण शुरू होना है। इन सभी को देखते हुए केंद्र सरकार किसान मुद्दे को लेकर बेहद संवेदनशील है।
सार
- गणतंत्र दिवस की तैयारियां शुरू, बजट सत्र भी है सामने
- अभी तक सरकार के पास से नहीं आया कोई ठोस प्रस्ताव
- सब्सिडी, बोनस लेने जैसे उपायों के लिए तैयार नहीं किसान
- समिति बनाने का प्रस्ताव पहले ही नकार चुके हैं किसान
विस्तार
वार्ता से पहले बातचीत के स्वरूप को लेकर पंजाब के एक बड़े किसान नेता ने कहा कि देश की मीडिया ने 30 दिसंबर को हुई बातचीत को सरकार द्वारा आधी बात मान लेने के तौर पर प्रचारित कर दिया। जबकि यह सब्जी खरीदने के बाद मुफ्त में मिलने वाले धनिया-मिर्च जैसा है। सरकार ने उस विधेयक पर बात मानने की हामी भरी है, जो अभी कानून की शक्ल नहीं पा सका है। पराली को लेकर किसानों को मिला प्रस्ताव कोई बड़ी चीज तो है नहीं।
एमएसपी पर ठोस प्रस्ताव चाहिए, बीच का रास्ता नहीं
आज बातचीत के लिए निकलने से पहले किसान नेता फिर अपना होम वर्क पूरा करके ही जाएंगे। बताते हैं कि इस मामले में केन्द्र सरकार के प्रोत्साहन राशि, सब्सिडी जैसे उपाय मंजूर नहीं हैं। सरकार द्वारा एमएसपी और बाजार मूल्य में अंतर की भरपाई करने जैसा प्रस्ताव भी यदि आता है तो वह कोई स्थायी समाधान नहीं है। इसलिए किसान नेता इस तरह की स्थिति के लिए तैयार नहीं होंगे। हमें इस बार स्थायी समाधान चाहिए।
समिति के प्रस्ताव पर क्यों तैयार नहीं किसान संगठन
इसके साथ-साथ रिपोर्ट आने, सरकार द्वारा उस पर अमल करने तक किसानों को अपना प्रदर्शन जारी रखने के लिए सरकार रामलीला मैदान या ऐसे ही किसी सुरक्षित स्थान का प्रस्ताव करती। बताते हैं केंद्र सरकार तीनों कानूनों में जिन 16 से अधिक संशोधनों के लिए तैयार होने का भरोसा दे रही है, उससे किसी समस्या का समाधान नहीं होने वाला है।
फरवरी में है संसद का बजट सत्र
फरवरी में संसद का बजट-सत्र आरंभ हो सकता है। बजट सत्र के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण लगातार मंत्रालय के अधिकारियों के साथ मैराथन बैठक कर रही हैं। वित्त मंत्री के सामने कृषि क्षेत्र में सुधार और ग्रामीण विकास को धार देने के लिए वित्तीय आवंटन की चुनौती बनी हुई है। कोविड-19 के लिए टीकाकरण प्रक्रिया का पंजीकरण शुरू होना है। इन सभी को देखते हुए केंद्र सरकार किसान मुद्दे को लेकर बेहद संवेदनशील है।
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