यशपाल शर्मा, अमर उजाला, चंडीगढ़
Updated Wed, 13 Jan 2021 11:04 AM IST
आंदोलन में शामिल किसान।
– फोटो : PTI
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
नए कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने भले ही अगले आदेश तक रोक लगा दी हो, लेकिन आंदोलनरत अन्नदाता इसे मास्टर स्ट्रोक नहीं मान रहा। किसान संगठन कानूनों के रद्द होने को ही अपनी जीत मानेंगे। उनकी पहली प्राथमिकता ही यही है। उधर, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने एक बार फिर किसानों से आंदोलन खत्म करने का आग्रह किया है।
बातचीत के लिए कमेटी बनाने की केंद्र सरकार की मांग किसान संगठन पहले ही ठुकरा चुके थे। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित चार सदस्यीय कमेटी में शामिल सदस्यों को नए कानूनों का हिमायती बताते हुए भाकियू ने आंदोलन और तेज करने का एलान किया है।
यह भी पढ़ें – कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, किसान बोले- आंदोलन जारी रहेगा, पढ़ें- पंजाब की सियासी प्रतिक्रियाएं
भाकियू (चढ़ूनी) के हरियाणा अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा है कि आंदोलन से बुजुर्ग, बच्चे व महिलाएं नहीं हटेंगे। इनकी तादाद पहले की तुलना में दो-तीन गुणा बढ़ाई जाएगी। कानून रद्द होने तक आंदोलन चलता ही रहेगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन को और तेज करने के लिए दक्षिण से किसान पहुंच रहे हैं। रेल सेवा बाधित होने के बावजूद आंध्र प्रदेश, ओडिसा व पश्चिम बंगाल के किसान आ चुके हैं। बुधवार शाम तक केरल के किसान भी आ जाएंगे।
जन आंदोलन बन चुका है किसान आंदोलन: बैंस
किसान संगठन आंदोलन को दो-तीन राज्यों तक सीमित बताने से भी खफा हैं। भाकियू प्रवक्ता राकेश बैंस ने कहा कि हरियाणा में किसानों को लामबंद करने के लिए जनजागरण अभियान चला रहे हैं। अब यह आंदोलन जनांदोलन बन चुका है। संयुक्त किसान मोर्चा के दीपक लांबा ने बताया कि केंद्र सरकार किसानों को अपने जाल में फंसाना चाहती है। किसान अब निरक्षर नहीं रहा, कानूनों में लिखी भाषा को बखूबी समझता है। उसे बरगला नहीं सकते। तीनों कानूनों को किसान पढ़कर अच्छी तरह समझ चुके हैं। आज के किसान के पास एमएससी बीएड के साथ बीटेक व बीएससी एग्रीकल्चर की डिग्री भी है।
न्यायालय के फैसले अनुसार ही आगे बढ़ेंगे : मनोहर लाल
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने कहा कि कानून वैसे तो देशभर के लिए थे, मगर कुछ किसान विरोध तो कुछ पक्ष में थे। सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति को ध्यान में रखते हुए इन पर रोक लगाई है। अब न्यायालय के निर्णय अनुसार आगे का रास्ता निकलेगा। इन्हें कब लागू करना है, नहीं करना, कैसे लागू करना है। अब तो गेंद कोर्ट के पाले में चली गई है। किसानों को भी इंतजार करना चाहिए। कोर्ट जो फैसला करेगा उसके हिसाब से आगे सब कुछ होगा। वह कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। उनकी किसानों से अपील है कि वे अपने धरने को शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त कर अपने-अपने घरों को जाएं।
नए कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने भले ही अगले आदेश तक रोक लगा दी हो, लेकिन आंदोलनरत अन्नदाता इसे मास्टर स्ट्रोक नहीं मान रहा। किसान संगठन कानूनों के रद्द होने को ही अपनी जीत मानेंगे। उनकी पहली प्राथमिकता ही यही है। उधर, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने एक बार फिर किसानों से आंदोलन खत्म करने का आग्रह किया है।
बातचीत के लिए कमेटी बनाने की केंद्र सरकार की मांग किसान संगठन पहले ही ठुकरा चुके थे। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित चार सदस्यीय कमेटी में शामिल सदस्यों को नए कानूनों का हिमायती बताते हुए भाकियू ने आंदोलन और तेज करने का एलान किया है।
यह भी पढ़ें – कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, किसान बोले- आंदोलन जारी रहेगा, पढ़ें- पंजाब की सियासी प्रतिक्रियाएं
भाकियू (चढ़ूनी) के हरियाणा अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा है कि आंदोलन से बुजुर्ग, बच्चे व महिलाएं नहीं हटेंगे। इनकी तादाद पहले की तुलना में दो-तीन गुणा बढ़ाई जाएगी। कानून रद्द होने तक आंदोलन चलता ही रहेगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन को और तेज करने के लिए दक्षिण से किसान पहुंच रहे हैं। रेल सेवा बाधित होने के बावजूद आंध्र प्रदेश, ओडिसा व पश्चिम बंगाल के किसान आ चुके हैं। बुधवार शाम तक केरल के किसान भी आ जाएंगे।
जन आंदोलन बन चुका है किसान आंदोलन: बैंस
किसान संगठन आंदोलन को दो-तीन राज्यों तक सीमित बताने से भी खफा हैं। भाकियू प्रवक्ता राकेश बैंस ने कहा कि हरियाणा में किसानों को लामबंद करने के लिए जनजागरण अभियान चला रहे हैं। अब यह आंदोलन जनांदोलन बन चुका है। संयुक्त किसान मोर्चा के दीपक लांबा ने बताया कि केंद्र सरकार किसानों को अपने जाल में फंसाना चाहती है। किसान अब निरक्षर नहीं रहा, कानूनों में लिखी भाषा को बखूबी समझता है। उसे बरगला नहीं सकते। तीनों कानूनों को किसान पढ़कर अच्छी तरह समझ चुके हैं। आज के किसान के पास एमएससी बीएड के साथ बीटेक व बीएससी एग्रीकल्चर की डिग्री भी है।
न्यायालय के फैसले अनुसार ही आगे बढ़ेंगे : मनोहर लाल
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने कहा कि कानून वैसे तो देशभर के लिए थे, मगर कुछ किसान विरोध तो कुछ पक्ष में थे। सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति को ध्यान में रखते हुए इन पर रोक लगाई है। अब न्यायालय के निर्णय अनुसार आगे का रास्ता निकलेगा। इन्हें कब लागू करना है, नहीं करना, कैसे लागू करना है। अब तो गेंद कोर्ट के पाले में चली गई है। किसानों को भी इंतजार करना चाहिए। कोर्ट जो फैसला करेगा उसके हिसाब से आगे सब कुछ होगा। वह कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। उनकी किसानों से अपील है कि वे अपने धरने को शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त कर अपने-अपने घरों को जाएं।
Source link Like this:
Like Loading...