गाजीपुर बॉर्डर पर किसान
– फोटो : अमर उजाला (फाइल)
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नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 80 दिनों से अधिक समय से किसान संगठनों का विरोध प्रदर्शन जारी है। बड़ी संख्या में फिर से किसान प्रदर्शन स्थलों पर जुटने लगे हैं। आंदोलन के कारण आम लोगों को कोई परेशान नहीं हो इसलिए अब संगठन किसानों को अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे हैं। इसमें खासकर पुलिस और सुरक्षाकर्मियों से किसान कैसे कैसे पेश आएं ये बताया जा रहा है।
हरियाणा के किसान नेता रविंद्र राणा ने अमर उजाला से कहा कि 26 जनवरी की घटना के बाद से ही आम लोग और पुलिस लगातार किसान संगठनों के अनुशासन पर सवाल खड़े कर रहे हैं। बॉर्डर पर सुरक्षाकर्मियों के साथ हुई छोटी-मोटी घटनाओं के बाद से देशभर में ये संदेश भी जा रहा है कि किसान उग्र हो रहे हैं। इन्हीं वजहों को देखते हुए किसानों से अनुशासन में रहने की अपील की जा रही है ताकि आम लोगों के मन में किसानों के प्रति गलत धारणा नहीं बन सके।
मंच से अपील कर और बांट रहे हैं पर्चे
किसानों को अनुशासन सिखाने की जिम्मेदारी वरिष्ठ किसान नेताओं के साथ-साथ युवा किसानों ने भी अपने हाथों में ले रखी है। किसान संगठन ने सभी किसान नेताओं को निर्देश दिया है कि वे अपने भाषण को कृषि कानूनों तक ही सीमित नहीं रखें। भाषण में किसानों को ये भी जरूर बताएं कि कैसे अनुशासन में रहें और अनुशासन हमारे आंदोलन के लिए क्यों जरूरी है।
किसान संगठनों ने नेताओं से यह भी कहा है कि वे अपने भाषण में किसानों को ये भी विश्वास दिलाएं कि अनुशासन में रहकर ही इस लड़ाई को जीता जा सकता है। इसके अलावा हर नेता भाषण से पहले और भाषण के बाद किसानों से ‘शांत रहेंगे तो जीतेंगे, हिंसक होंगे तो मोदी जीत जाएगा’ जैसे नारे लगाने की भी अपील कर रहे हैं।
युवा किसान भी अपने तरीके से किसानों को अनुशासन सिखा रहे हैं। इसके लिए एक टीम तैयार की गई है जो किसानों को पुलिस और आम लोगों से बात कैसे करना है, ये सिखा रही है। पंजाब से आए युवा किसान तेजिंदर सिंह ने अमर उजाला से कहा, वॉलंटियर्स किसानों के बीच जाकर उन्हें पुलिस और आम लोगों के साथ कैसे बर्ताव करना है, ये बता रहे हैं। उन्हें ये भी बताया जा रहा है कि अगर पुलिस अच्छा बर्ताव न भी करे तो भी हमें उनके साथ सलीके से ही पेश आना है। किसी भी तरह का विवाद नहीं करना है। इसके अलावा हम लोगों ने कुछ पर्चे भी छपवाए हैं, जो किसानों को बांटे जा रहे हैं। इनमें कानून के विरोध की वजहों से संबंधित सारी जानकारी दी गई है।
सार
26 जनवरी की घटना के बाद से ही आम लोग और पुलिस लगातार किसान संगठनों के अनुशासन पर सवाल खड़े कर रहे हैं। बॉर्डर पर सुरक्षाकर्मियों के साथ हुई छोटी-मोटी घटनाओं के बाद से देशभर में ये संदेश भी जा रहा है कि किसान उग्र हो रहे हैं…
विस्तार
नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 80 दिनों से अधिक समय से किसान संगठनों का विरोध प्रदर्शन जारी है। बड़ी संख्या में फिर से किसान प्रदर्शन स्थलों पर जुटने लगे हैं। आंदोलन के कारण आम लोगों को कोई परेशान नहीं हो इसलिए अब संगठन किसानों को अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे हैं। इसमें खासकर पुलिस और सुरक्षाकर्मियों से किसान कैसे कैसे पेश आएं ये बताया जा रहा है।
हरियाणा के किसान नेता रविंद्र राणा ने अमर उजाला से कहा कि 26 जनवरी की घटना के बाद से ही आम लोग और पुलिस लगातार किसान संगठनों के अनुशासन पर सवाल खड़े कर रहे हैं। बॉर्डर पर सुरक्षाकर्मियों के साथ हुई छोटी-मोटी घटनाओं के बाद से देशभर में ये संदेश भी जा रहा है कि किसान उग्र हो रहे हैं। इन्हीं वजहों को देखते हुए किसानों से अनुशासन में रहने की अपील की जा रही है ताकि आम लोगों के मन में किसानों के प्रति गलत धारणा नहीं बन सके।
मंच से अपील कर और बांट रहे हैं पर्चे
किसानों को अनुशासन सिखाने की जिम्मेदारी वरिष्ठ किसान नेताओं के साथ-साथ युवा किसानों ने भी अपने हाथों में ले रखी है। किसान संगठन ने सभी किसान नेताओं को निर्देश दिया है कि वे अपने भाषण को कृषि कानूनों तक ही सीमित नहीं रखें। भाषण में किसानों को ये भी जरूर बताएं कि कैसे अनुशासन में रहें और अनुशासन हमारे आंदोलन के लिए क्यों जरूरी है।
किसान संगठनों ने नेताओं से यह भी कहा है कि वे अपने भाषण में किसानों को ये भी विश्वास दिलाएं कि अनुशासन में रहकर ही इस लड़ाई को जीता जा सकता है। इसके अलावा हर नेता भाषण से पहले और भाषण के बाद किसानों से ‘शांत रहेंगे तो जीतेंगे, हिंसक होंगे तो मोदी जीत जाएगा’ जैसे नारे लगाने की भी अपील कर रहे हैं।
युवा किसान भी अपने तरीके से किसानों को अनुशासन सिखा रहे हैं। इसके लिए एक टीम तैयार की गई है जो किसानों को पुलिस और आम लोगों से बात कैसे करना है, ये सिखा रही है। पंजाब से आए युवा किसान तेजिंदर सिंह ने अमर उजाला से कहा, वॉलंटियर्स किसानों के बीच जाकर उन्हें पुलिस और आम लोगों के साथ कैसे बर्ताव करना है, ये बता रहे हैं। उन्हें ये भी बताया जा रहा है कि अगर पुलिस अच्छा बर्ताव न भी करे तो भी हमें उनके साथ सलीके से ही पेश आना है। किसी भी तरह का विवाद नहीं करना है। इसके अलावा हम लोगों ने कुछ पर्चे भी छपवाए हैं, जो किसानों को बांटे जा रहे हैं। इनमें कानून के विरोध की वजहों से संबंधित सारी जानकारी दी गई है।
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