अर्थनीति में जो बाइडन अपनाएंगे रैडिकल एजेंडा? प्रति घंटे 15 डॉलर के न्यूनतम वेतन की मांग का किया समर्थन

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सार
बाइडन प्रशासन अर्थनीति में प्रगतिशील एजेंडा अपनाएगा। इस उम्मीद को इस बात से भी बल मिला है कि सोशलिस्ट नेता बर्नी सैंडर्स को सीनेट की बजट समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। सैंडर्स 15 डॉलर प्रति घंटा न्यूनतम वेतन, सबके लिए स्वास्थ्य सुरक्षा, और मुफ्त कॉलेज शिक्षा जैसी मांगें लंबे समय से उठाते रहे हैं…
विस्तार
बाइडन ने कहा- ‘न्यूतनम वेतन में बढ़ोतरी हुए लंबा समय गुजर चुका है। अब ऐसा करने का वक्त आ गया है, ताकि मेहनतकश लोग प्रति घंटे कम से कम 15 डॉलर कमा सकें। मुझे उम्मीद है कि हाउस (ऑफ रिप्रजेंटेटिव) और सीनेट में डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत होने के कारण इस दिशा में शीघ्र कदम उठाने में मदद मिलेगी।’
इसके पहले बाइडन ने एक और ट्वीट में कोरोना राहत पैकेज को बढ़ा कर 2000 डॉलर प्रति व्यक्ति करने की मांग का समर्थन किया था। पिछले महीने रिपब्लिकन पार्टी के विरोध के कारण सीनेट में ये प्रस्ताव पास नहीं हो सका। तब पारित प्रस्ताव में सिर्फ 600 डॉलर प्रति व्यक्ति को देने का प्रावधान किया गया था।
बाइडन की इन घोषणाओं से ये अनुमान लगाया जाने लगा है कि बाइडन प्रशासन अर्थनीति में प्रगतिशील एजेंडा अपनाएगा। इस उम्मीद को इस बात से भी बल मिला है कि सोशलिस्ट नेता बर्नी सैंडर्स को सीनेट की बजट समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। सैंडर्स 15 डॉलर प्रति घंटा न्यूनतम वेतन, सबके लिए स्वास्थ्य सुरक्षा, और मुफ्त कॉलेज शिक्षा जैसी मांगें लंबे समय से उठाते रहे हैं। पांच जनवरी को जॉर्जिया राज्य में सीनेट की दो सीटों के लिए हुए चुनाव में दोनों सीटें डेमोक्रेटिक पार्टी ने जीत लीं। इससे सीनेट में इस पार्टी का बहुमत हो गया है। इस कारण ही सैंडर्स के बजट समिति का अध्यक्ष बनने का रास्ता खुला। विश्लेषकों का अनुमान है कि इससे बाइडन प्रशासन के लिए प्रगतिशील आर्थिक कदमों को कांग्रेस (संसद) से पास कराना अब आसान हो गया है।
सीनेट की बजट समिति बहुत शक्तिशाली मानी जाती है। टैक्स और खर्च प्रस्तावों को अंतिम रूप देने में इस समिति की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। सैंडर्स वॉरमोन्ट राज्य से जीते निर्दलीय सीनेटर हैं। लेकिन वे डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ मिल कर काम करते हैं। पिछले दो राष्ट्रपति चुनावों में उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने की कोशिश की थी। इसके लिए चलाए गए अभियानों में उन्होंने रैडिकल आर्थिक एजेंडा सामने रखा।
विश्लेषकों का मानना है कि अब सैंडर्स उस एजेंडे को लागू करवाने की कोशिश करेंगे। अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में सैंडर्स ने कहा कि इस समय देश अति गंभीर आर्थिक संकट में है। इससे इसे निकालने के लिए हमें जितना संभव है, उतनी तेजी से कदम उठाने चाहिए।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने संभावना जताई है कि टैक्स, हेल्थ केयर, जलवायु परिवर्तन संबंधी नीतियों और बहुत से दूसरे घरेलू मुद्दों पर सैंडर्स अपना प्रभाव डालेंगे। इस अखबार से सैंडर्स ने कहा कि हालांकि डेमोक्रेटिक पार्टी के पास हलका बहुमत है, फिर भी सीनेट की कुछ प्रक्रियाएं ऐसी हैं, जिससे ये पार्टी अपना एजेंडा पास करा सकती है। उन्होंने कहा है कि इसके लिए वे उन्हीं प्रक्रियाओं का सहारा लेंगे, जिनके जरिए पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमीरों के लिए टैक्स कटौती के अपने प्रस्ताव को पास कराया था।
सैंडर्स का एजेंडा अब अमीरों पर टैक्स बढ़ाना और आम आदमी के लिए कल्याण की योजनाएं शुरू कराने का है। इनमें से कई कदम ऐसे हैं, जिनका वादा जो बाइडन ने किया है। बाइडन की शुरुआती घोषणाओं से संकेत मिला है कि वे उन वादों को निभाने को लेकर गंभीर हैं। सैंडर्स के बजट समिति का अध्यक्ष बन जाने से उन पर ऐसा करने का दबाव भी बना रहेगा।
न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में सैंडर्स ने कहा कि कोरोना राहत पैकेज को लेकर उनकी जो बाइडन से बातचीत होती रही है। उन्होंने कहा कि वे मेडिकेयर फॉर ऑल जैसी अपनी प्राथमिकताओं को बाइडन प्रशासन पर नहीं थोपेंगे। लेकिन वे उन प्रक्रियाओं को अपनाएंगे जिससे डेमोक्रेटिक प्रशासन परंपरागत बजट से आगे जाकर नई नीतियों को लागू कर सकें। सैंडर्स ने कहा कि जरूरत अमेरिका के ढांचागत समस्याओं का हल ढूंढने की है और उनकी कोशिश उसी दिशा में जाने की होगी। अब देश को गुरुवार को आने वाले जो बाइडन के वक्तव्य का है, जिससे भावी प्रशासन की अर्थनीति के मामले में तस्वीर और साफ होने की आशा है।
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