अमेरिकी चुनाव नतीजे ट्रंप समर्थक कांग्रेस को अखाड़ा बनाने पर अड़े, परिणामों को फिर देंगे चुनौती

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सार
सीनेट की बैठक पर सबकी नजर, 6 जनवरी को इलेक्टोरल कालेज के वोटों की गिनती…
विस्तार
नए नियम में कोई नई बात नहीं है। छह जनवरी को उसी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा, जो दशकों से होता आया है। इसके तहत इलेक्टोरल कॉलेज के मतदान के नतीजे को दोनों सदनों के साझा सत्र में ध्वनि मत से पारित करने के लिए रखा जाएगा। आमतौर पर इसी दौरान नतीजों पर मुहर लग जाती है।
लेकिन इस बार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थक शुरू से ही नतीजे को विवादास्पद बनाने में जुटे रहे हैं। इसी सिलसिले में दोनों सदनों सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में कई सदस्यों ने नतीजे पर एतराज जताने का एलान किया है। लेकिन नियम पर चर्चा के दौरान दोनों में से किसी सदन में किसी रिपब्लिकन सदस्य ने आपत्ति नहीं जताई।
बीते तीन नवंबर को इलेक्टोरल कॉलेज के लिए 538 सदस्य चुने गए थे। 14 दिसंबर को उनमें से 306 सदस्यों ने डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडन के पक्ष में मतदान किया। इस तरह बाइडन राष्ट्रपति चुने गए हैं, जिस पर आखिरी मुहर कांग्रेस को लगानी है। कई सीनेटरों ने कहा है कि वे दौरान कुछ राज्यों से आए चुनाव परिणाम को चुनौती देंगे।
लेकिन चुनाव नतीजे पर विवाद खड़ा करने के मुद्दे पर रिपब्लिकन पार्टी में फूट पड़ गई है। रविवार को हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के सात रिपब्लिकन सदस्यों ने एक बयान जारी कर चुनाव परिणाम को चुनौती देने के प्रयासों पर अपना विरोध जताया। उन्होंने कहा कि अमेरिकी संविधान के मुताबिक इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों के निर्वाचन का दायित्व कांग्रेस पर नहीं, बल्कि राज्यों पर है। इसलिए कांग्रेस को राज्यों से आए चुनाव नतीजे को पलटने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। सीनेट के भी कुछ रिपब्लिकन सदस्यों ने भी चुनाव परिणाम पर विवाद खड़ा करने की कोशिश का विरोध किया है। इनमें 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार रह चुके मिट रोमनी भी हैं।
लेकिन पार्टी में फूट के बावजूद ट्रंप समर्थक अपने इरादे पर कायम हैं। वे चुनाव के दिन से ही नतीजों को विवादास्पद बनाने के प्रयास में जुटे हुए हैँ। इसी सिलसिले में यहां के अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट ने रविवार को ये खुलासा किया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने जॉर्जिया राज्य के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट ब्रैड रैफेनस्पेर्गर को फोन कर उनसे ‘उतने वोट ढूंढने’ को कहा था कि जिससे इस राज्य से हुई जो बाइडन की जीत को पलटा जा सके। इस फोन कॉल को ट्रंप द्वारा अपने पद का दुरुपयोग बताया गया है।
कुछ ट्रंप समर्थकों ने कहा है कि उप राष्ट्रपति माइक पेन्स को बाइडन के पक्ष में मतदान करने वाले इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों को अवैध घोषित कर देना चाहिए। उप राष्ट्रपति ही चुनाव नतीजे पर चर्चा के दौरान साझा सत्र की अध्यक्षता करेंगे। इस बारे में पेन्स को निर्देश देने के लिए एक न्यायिक याचिका भी पिछले हफ्ते दायर की गई थी, लेकिन कोर्ट ने उसे ठुकरा दिया।
गिनती प्रक्रिया के मुताबिक उप राष्ट्रपति को इलेक्टोरल कॉलेज में डाले गए मतपत्रों को सीनेट के सामने रखना होता है। वे वर्णाक्रम से हर राज्य के इलेक्टोरल कॉलेज के मतपत्रों को पढ़कर उससे आए नतीजे को बताएंगे। फिर वे सदस्यों को आपत्ति दर्ज कराने का मौका देंगे। अगर किसी एक भी सदस्य ने आपत्ति दर्ज करा दी, तो सीनेट और हाउस को अलग-अलग बैठक करनी होगी, जिसमें चुनाव परिणाम पर बहस करानी होगी। उसके बाद फिर से साझा सत्र में नतीजों पर मतदान होगा।
ट्रंप समर्थक सांसदों की कोशिश से डेमोक्रेटिक पार्टी छह जनवरी के सत्र के लिए खास रणनीति बनाने पर मजबूर हुई है। हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने अपनी पार्टी के सदस्यों की अलग से बैठक बुलाई है। इसमें खासकर पेनसिल्वेनिया, जॉर्जिया, एरिजोना जैसे राज्यों के सदस्यों को उपस्थित रहने को कहा गया है। ट्रंप समर्थक इन्हीं राज्यों से आए नतीजों को चुनौती देने की तैयारी में हैं।
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