अमेरिका: महिला की खरीदारी की लत ने परिवार को एक करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज में फंसाया

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ओहियो शहर में रहने वाली 42 वर्षीय सुसन क्रोस्लक जब 20 साल की थी तो उसे शॉपिंग की लत लगी थी, शुरुआती दिनों में मौज-मस्ती के लिए शॉपिंग की होड़ में अपनी मां के क्रेडिट कार्ड से करीब एक लाख 52 हजार रुपये (2100 डॉलर) की खरीदारी की थी। 2001 में शादी के बाद सुसन की खरीदारी की लत और बढ़ती चली गई और अब उसके तीन बच्चे भी हैं जिनकी उम्र 11, नौ और छह वर्ष है।
यह महिला एक हेयर ड्रेसर का काम करती है और एक महीने में कपड़े, बैग और जूते पर तीन लाख रुपये (4200 डॉलर) से ज्यादा का खर्च करती है, जिससे अब तक उसके क्रेडिट कार्ड का बिल एक लाख 40 हजार डॉलर (1,01,41,600 रुपये) हो गया।
अप्रैल 2020 में, सुसन ने अपने पति और परिवार से इस क्रेडिट कार्ड के बकाया रकम के बारे में खुलासा किया और अपने इस भारी कर्ज को चुकाने के लिए वह एक हेयर सैलून पर ओवरटाइम काम करने लगी।
जरूरत नहीं, लत बन गई है ऑनलाइन शॉपिंग
पहले जरूरत, फिर शौक के बाद ऑनलाइन शॉपिंग लत बनती जा रही है। तथाकथित छूट के लालच में वह वस्तुएं भी मंगाई जा रही हैं जिनकी जरूरत नहीं। ऑनलाइन शॉपिंग की लत ने लोगों को मनोरोगी बना दिया है। दिन-रात ऑनलाइन साइट पर यही तलाश रहती है कुछ सस्ता मिल जाए।
मनोचिकित्सक के पास ऐसे मामले आने लगे हैं, जो ऑनलाइन खरीदारी से ज्यादा खरीद की बीमारी का शिकार हो चुके हैं। इस बीमारी को ‘कंपल्सिव बाइंग डिसऑर्डर’ कहा जाता है। इसमें मरीज आवेग में आकर खरीद करते हैं। वह स्वयं को तब तक नियंत्रित नहीं कर पाते, जब तक कुछ खरीद नहीं लें। खरीदारी करने के बाद बेचैनी कम हो जाती है। ऐसे मरीजों का दिन का बड़ा समय ऑनलाइन साइट्स पर सामान ढूंढने में निकलता है। ऐसा न करने पर बेचैनी होने लगती है।