अमेरिका ने ताइवान से राजनयिक संपर्कों पर लगी पाबंदियां हटाईं, चीन भड़का

दरअसल, चीन सरकार दावा करती रही है कि ताइवान उसका हिस्सा है। अमेरिका ने ताइवान से संपर्क बहाली का यह कदम उस वक्त उठाया है, जब 20 जनवरी को जो बाइडन देश के अगले राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने जा रहे हैं।
अमेरिकी विदेशमंत्री माइक पोम्पियो ने कहा, विदेश मंत्रालय ताइवान के साथ राजनयिक स्तर पर और अन्य स्तरों पर संपर्क कायम करने पर लगे प्रतिबंधों को समाप्त कर रहा है। कई दशक से विदेश विभाग ने दोनों पक्षों के राजनयिकों, सेवा सदस्यों और अन्य अधिकारियों के बीच संपर्कों पर जटिल बाध्यताएं लगा रखी थीं।
पोम्पियो ने कहा, अमेरिका दुनिया भर में अनौपचारिक रूप से साझेदारों के साथ रिश्ते कायम रखता है और इसमें ताइवान कोई अपवाद नहीं है। पोम्पियो ने कहा, हमारे दो लोकतंत्र व्यक्तिगत स्वतंत्रता, कानून के शासन और मानव की गरिमा का सम्मान करने वाले समान मूल्यों को साझा करें।
आज का बयान यह मानता है कि अमेरिका-ताइवान के रिश्ते को हमारी नौकरशाही के खुद के प्रतिबंधों से बचना चाहिए। इन दिनों ताइवान से आपसी रिश्तों को बढ़ाने की अमेरिका लगातार कोशिश कर रहा है। बीते अगस्त में स्वास्थ्य एवं मानव सेवा मंत्री एलेक्स एजार ताइवान गए थे। 2014 के बाद ताइवान जाने वाले वे अमेरिकी कैबिनेट के पहले सदस्य थे।
अमेरिकी राजदूत जाएंगी 13-15 जनवरी को करेंगी दौरा
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत केली क्रॉफ्ट ताइवान के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक के लिए 13-15 जनवरी को ताइवान का दौरा करेंगी। चीन की आपत्ति के कारण ताइवान संयुक्त राष्ट्र का सदस्य नहीं है। इस लिहाज से अमेरिकी राजदूत केली का दौरा उसके लिए काफी महत्वपूर्ण है।
ताइवान ने कहा, दुनिया की बेहतरी के लिए करेंगेे काम
ताइवान के विदेशमंत्री जौशीह जोसेफ वू ने ट्वीट कर पोम्पियो की इस घोषणा का स्वागत करते हुए कहा, अमेरिकी झंडा हमारे साझा मूल्यों, साझा हिजों और आजादी व लोकतंत्र में अटूट विश्वास पर आधारित है। हम दुनिया की बेहतरी के लिए काम करते रहेंगे।
दफ्तर छोड़ने से पहले ओछी हरकत कर रहा ट्रंप प्रशासन
चीन की सरकार समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कहा, ऐसा लगता है कि पोम्पियो दुर्भावनापूर्ण तरीके से अमेरिका के साथ द्विपक्षीय रिश्ते में दाग लगाना चाहते हैं। उन्हें वैश्विक शांति से कोई मतलब नहीं है। यह कदम अनचाहे विवाद को पैदा करेगा।
वहीं, चाइना ग्लोबल टेलीविजन नेटवर्क ने कहा, यह आने वाले अमेरिकी प्रशासन के खिलाफ कायरतापूर्ण कार्रवाई है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन कार्यालय छोड़ने से पहले लगातार इस तरह की ओछी हरकत कर रहा है। इस तरह का कदम चीन-अमेरिका के शांति प्रयासों को खतरे में डालना है।
चीन की मंशा, ताइवान किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन में न हो शामिल
चीन अपने राजनयिक ताकत का इस्तेमाल कर ताइवान को ऐसे किसी भी संगठन में शामिल होने से रोकता है जिसकी सदस्यता के लिए देश का दर्जा हासिल होना जरूरी है। चीन इस द्वीप को अपने प्रांतों में से एक मानता है।
वहीं, गृहयुद्ध के बाद 1949 से चीन से अलग हुआ ताइवान खुद को एक लोकतांत्रिक देश मानता है। उसने शिकायत की है कि चीन के दबाव के कारण कोरोना महामारी के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन से वास्तविक जानकारी नहीं मिल रही है।
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