अमेरिका का दावा: वुहान इंस्टीट्यूट ने खुफिया प्रोजेक्ट पर किया चीन की सेना से सहयोग

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Updated Sat, 16 Jan 2021 10:16 PM IST
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इसमें कहा गया है, ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के जांचकर्ताओं के पास कोविड-19 के प्रसार से पहले वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में चमगादड़ों और अन्य कोरोनावायरसों पर किए गए काम के रिकॉर्ड तक पहुंच होनी ही चाहिए।’
इस फैक्ट शीट के अनुसार, भले ही वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी खुद को एक नागरिक संस्थान घोषित करता हो, अमेरिका इसे लेकर निश्चित है कि इस संस्थान ने खुफिया परियोजनाओं और प्रकाशनों पर चीन की सेना से सहयोग किया है।
Despite the WIV presenting itself as a civilian institution, the United States has determined that the WIV has collaborated on publications and secret projects with China’s military: US Department of State’s ‘Fact sheet: Activity at the Wuhan Institute of Virology’ https://t.co/HGw8Bu9Gbx
— ANI (@ANI) January 16, 2021
इस फैक्ट शीट के अनुसार, अमेरिकी सरकार के पास यह मानने के कारण हैं कि साल 2019 में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला पुष्ट मामला सामने आने से पहले पतझड़ के मौसम के दौरान वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के कई शोधकर्ता बीमार पड़ गए थे। इसके अनुसार इन शोधकर्ताओं में कोविड-19 और सामान्य मौसमी बीमारी के लक्षण थे।
US Govt has reason to believe that several researchers inside WIV became sick in autumn’19, before first identified case of the outbreak, with symptoms consistent with both COVID-19&common seasonal illnesses:US Dept of State’s ‘Fact sheet: Activity at Wuhan Institute of Virology’
— ANI (@ANI) January 16, 2021
बता दें कि अमेरिका शुरू से ही कोरोना वायरस के लिए खुले तौर पर चीन को जिम्मेदार ठहराता आ रहा है। अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तो यह तक कह चुके हैं कि कोरोना वायरस चीन का एक असफल वैज्ञानिक प्रयोग है। इसके अलावा अमेरिका ने चीन के साथ डब्ल्यूएचओ पर भी कोरोना संबंधी जानकारियां छिपाने के आरोप लगाए थे।