अपनी संपत्ति छिपाने के लिए लॉबिंग की हद तक चली गईं ब्रिटिश महारानी

पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ख़बर सुनें
सार
ब्रिटिश परंपरा के मुताबिक ऐसे कानून, जिनका असर राज परिवार के विशषाधिकारों या महारानी के निजी हितों पर पड़ सकता हो, उन्हें पारित कराने के पहले राजमहल को पूर्व जानकारी दी जाती है….
विस्तार
हालांकि ये खबर उस समय अखबार ‘द मॉर्निंग स्टार’ ने दी थी। लेकिन उस खबर का सार यह था कि तत्कालीन कंजरवेटिव पार्टी की सरकार प्रस्तावित कंपनी कानून से राज परिवार को छूट देने जा रही है। ये अखबार कम्युनिस्ट विचारधारा को मानता है, इसलिए उसकी खबर पर तब परदा डालने की कोशिश की गई थी। लेकिन तब भी अखबार ‘द फाइनेंशियल टाइम्स’ ने लिखा था कि अगर यह छूट पाने के लिए बकिंघम पैलेस (ब्रिटिश राजमहल) ने कोई कोशिश की, और उसका बाद में खुलासा हुआ, तो यह एक विस्फोटक खबर होगी।
अब यहां के अखबार ‘द गार्जियन’ ने दस्तावेजों के आधार पर पुष्टि की है कि असल में वह छूट पाने के लिए महारानी की तरफ से जोरदार लॉबिंग की गई थी। अखबार ने कहा है कि अगर राज परिवार की संपत्ति के बारे में पूरी जानकारी सामने आ जाती, तो उससे राज परिवार के लिए परेशानी पैदा होती। इसलिए महारानी ने ये लॉबिंग की और इसमें वे कामयाब रहीं।
अखबार के मुताबिक उसने नेशनल आर्काइव्स से ऐसे अनेक दस्तावेज हासिल किए हैं, जिनसे जाहिर होता है कि महारानी एलिजाबेथ के निजी वकील ने प्रस्तावित कानून को लेकर तत्कालीन मंत्रियों पर दबाव डाला, ताकि महारानी को अपने धन के बारे में जानकारी सार्वजनिक ना करनी पड़े। इस दबाव में आकर तत्कालीन सरकार ने प्रस्तावित कानून में एक धारा शामिल कर दी, जिसके तहत सरकार को उन कंपनियों के बारे में सूचना जारी न करने का अधिकार मिल गया, जिनका उपयोग ‘राज्याध्यक्ष’ करते हों।
‘द गार्जियन’ का कहना है कि तत्कालीन सरकार ने जो व्यवस्था की, उससे व्यावहारिक रूप में एक सरकारी शेल कंपनी अस्तित्व में आ गई, जिसका उपयोग महारानी के निजी शेयर होल्डिंग्स और निवेश पर परदा डालने के लिए किया गया। ये व्यवस्था कम से कम 2011 तक चलती रही। हालांकि महारानी के पास कितना धन है, इसकी जानकारी आज तक सामने नहीं आ सकी है। अनुमान लगाया जाता है कि महारानी अरबों पाउंड की मालकिन हैं।
ब्रिटिश परंपरा के मुताबिक आम कानूनों के मामले में उनके संसद से पारित होने के बाद उन पर महारानी की मंजूरी जरूरी होती है। लेकिन ऐसे कानून, जिनका असर राज परिवार के विशषाधिकारों या महारानी के निजी हितों पर पड़ सकता हो, उन्हें पारित कराने के पहले राजमहल को पूर्व जानकारी दी जाती है। इसी पूर्व जानकारी के आधार पर महारानी ने तब लॉबिंग की। राज परिवार की वेबसाइट पूर्व जानकारी देने की रवायत को लंबे समय से स्थापित परंपरा बताया गया है। लेकिन संवैधानिक विशेषज्ञ इसे एक अस्पष्ट और राजतंत्र के पुराने रस्म-रिवाजों का हिस्सा बताते हैं।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में संवैधानिक कानून के विशेषज्ञ थॉमस ऐडम्स ने द गार्जियन से कहा कि इन दस्तावेजों कानून बनाने की प्रक्रिया पर ऐसा प्रभाव जाहिर हुआ है, जिसके बारे में लॉबिस्ट सिर्फ सपना ही देख सकते हैं। पूर्व सूचना और पूर्व सहमति लेने की परंपरा के कारण महारानी को ऐसे कानूनों को ठोस ढंग से प्रभावित करने का अधिकार मिला हुआ है, जिनका असर उन पर पड़ सकता है।
इस खबर को छापने के पहले ‘द गार्जियन’ ने बकिंघम पैलेस की प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की, लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला। ऐडम्स का कहना है कि सामने आए दस्तावेजों से यह जाहिर हो जाता है कि महारानी ने कानून के एक हिस्से को बदलवाने में भूमिका निभाई। जानकारों के मुताबिक इससे फाइनेंशियल टाइम्स ने तब जो अंदेशा जताई थी, वह सच हो गई है। ब्रिटेन के लिए यह एक विस्फोटक खबर है, जहां आज भी राज परिवार को सम्मान से देखा जाता है।